★[ नोट → कहानी में बताए गए पात्र व स्थान काल्पनिक भी हो सकते हैं । लेखक ने इसका प्रयोग केवल कहानी के डर को बढ़ावा देने के लिए किया है । इस काल्पनिक कहानी को केवल कहानी के दृष्टि से पढ़े सच्चाई से इसका कोई मत नही । ] ★
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सिगरेट के राख को फेंक उसको फिर से होंठ के कोने पर रखें जयदीप सिंह , लखनऊ थाने के इंस्पेक्टर जयदीप सिंह, इलाके के क्रिमिनलों के लिए साक्षात यमराज हैं वह, नेता भी उनसे बचकर ही रहते हैं I बहुत से समाज विरोधी उनके सामने झुकने को मजबूर हुए हैं I
सिगरेट के धुएं को छोड़ते हुए ध्यान मग्न दृष्टि से सामने बैठे आदमी को नीचे से ऊपर तक नाप रहे थे जयदीप ,
उस आदमी का उम्र यही कोई 30 - 32 होगा I चेहरा अच्छा है पर आंख चिंता के कारण अंदर धंस गए हैं I
सिर के बाल सही नहीं है, शर्ट का एक बांह मुड़ा हुआ और दूसरा कलाई के पास झूल रहा है I जयदीप समझ गए कि यह आदमी किसी कारणवश बहुत ही चिंतित है I
लॉकअप में पिटाई करने के कारण जयदीप के बाल पसीने से भीग गए हैं, माथे से गिरते पसीने को पोंछ उस आदमी से बोले - " हां बोलिए क्या बात है? "
वह आदमी कुछ बोलना चाहा पर चुप हो गया I
जयदीप खींझ कर बोला - " जो बोलना चाहते हैं वह साफ-साफ बोलिए I "
आदमी बोला - " सर मेरी बहन नहीं मिल रही है I "
" पहले अपना नाम बताइए "
" मेरा नाम राजेंद्र सैनी है मैं यहीं इंदिरा नगर कॉलोनी में रहता हूँ I "
" क्या आप दिग्विजय सैनी जी के परिचय के हैं ?"
" हां सर , वह मेरे पिताजी हैं I साल भर पहले ही उनका देहांत हुआ I "
" हाँ सुना था I तो आपकी बहन लापता है I "
" नहीं सर इसे ठीक लापता नहीं कह सकते I "
" तो क्या किडनैप ? "
" यह नहीं जानता सर "
" अच्छा तो फोन किए थे I "
" हां, पर फोन स्विच ऑफ था I "
" एक बात कहता हूं बुरा मत समझिए किसी अनजाने प्रेमी के साथ भागने की संभावना I "
" नहीं सर , उसका एक बॉयफ्रेंड है आशीष, मेरे दोस्त का ही भाई है I उनके बारे में हम जानते हैं इसलिए ऐसा नहीं है I "
" तो क्या बात हो सकती है ? "
" सर मुझे लगता है उनके साथ बैरिया में ही कुछ हुआ है I "
अब जयदीप कुछ आगे झुक कर बोला - " बैरिया , यह क्या है ?"
सामने रखें पानी के बोतल से थोड़ा सा ठंडा पानी पी कर राजेंद्र ने बोलना शुरू किया - " मैं जितना जानता हूं वह सब आपको बताता हूं I आशीष और मेरी बहन मानसी को बहुत ज्यादा एडवेंचर का शौक था I केवल वही नहीं उनके साथ दो और दोस्त भी रहते थे I
अद्भुत व रहस्यमय जगहों पर घूमने जाना व वहां से रहस्यमय तथ्यों को संग्रह करना यही सब था उनका नशा I
आशीष लड़का बहुत ही अच्छा है पर उसका यह एडवेंचर वाला नशा मुझे जरा भी पसंद नहीं था लेकिन मानसी उसे पसंद करती है और इस पृथ्वी पर मानसी के अलावा मेरा कोई नहीं इसीलिए बहन की खुशी में ही मेरी खुशी है I
काम की वजह से मुझे अक्सर बाहर जाना पड़ता है पर इस बार जब गया था यही 5 दिन पहले, एक दिन मानसी का फोन आया वह बोली कि वह अपने तीन दोस्तों के साथ को बैरिया के पास जंगल में घूमने जाएगी I जंगल के नाम को सुनकर मैंने मना किया था लेकिन वह मेरे किसी भी बात को नहीं सुनती I मैंने यह भी पूछा था कि उस जंगल में ऐसा क्या है जो जाना ही पड़ेगा I मानसी ने कुछ बताया था मुझे पर मोबाइल के नेटवर्क प्रॉब्लम के कारण ठीक से कुछ सुन नहीं पाया I इसके बाद 4 दिन पहले घर लौट कर मैंने हजारों बार फोन किया पर कोई बात नहीं हुई I मैंने अपने दोस्त श्याम से भी पूछा कि उसने अपने भाई यानि आशीष से कुछ बात हुई या नहीं पर उसने भी बताया 4 दिन से उसके भाई का फोन नहीं लग रहा I सर उनके साथ कुछ प्रॉब्लम जरूर हुआ है I मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि कहां जाऊं इसीलिए आपके पास आ गया मुझे पता है कि आप मेरे पिताजी के स्टूडेंट थे I कुछ कीजिए सर प्लीज I "
जयदीप माथे पर हाथ रखकर कुछ देर सोचे फिर किसी को बुलाने लगे - " भोला, भोला जल्दी से इधर आओ I "
एक हाफ शर्ट वाला हवलदार जल्दी से भागते हुए आया I
आंख थोड़ा सा लाल है लगता है सो रहा था I
जयदीप उसके तरह गुस्से भरे आँख से बोले - " अच्छा बैरिया जंगल के पास कोई थाना है या नहीं पता करो और अगर है तो उनके साथ संपर्क करो चार लड़के लड़कियां शायद लापता हैं I "
अब जयदीप, राजेंद्र की तरफ देख कर बोले - " अपने बहन की कोई तस्वीर लेकर आएं हैं I "
राजेंद्र ने बैग से एक पासपोर्ट साइज की फोटो को निकाल जयदीप के हाथ में दिया I
जयदीप ने उसे हवलदार के हाथ में दे कर कहा - " अब आप घर जाइए और थोड़ा धैर्य रखिए उनका खोज हम जरूर पा जाएंगे I "
दो दिन बाद जयदीप के फोन के कारण राजेंद्र गाड़ी लेकर निकल गए थे I दोनों आंखों से आंसू गिर रहे हैं उसके, गाड़ी तो वह चला रहे हैं पर आंखों के सामने केवल मानसी का हंसमुख चेहरा घूम रहा है I
" मानसी शायद अब नहीं लौटेगी या कभी नहीं लौट कर आएगी I "
2 घंटे पहले जयदीप का फोन आया था राजेंद्र के पास , जयदीप का कहना था बैरिया एक बड़ा जंगल है पर उस जंगल के दूसरी तरफ कुछ किलोमीटर दूर एक नगर है नाम है उतरौला I
कल रात जयदीप के पास फोन आया कि एक बीमार लड़का भर्ती हुआ था उतरौला के किसी एक हॉस्पिटल में, लड़का कह रहा था कि उसके तीन दोस्त मर चुके हैं और यह बात सुन लोकल लोगों ने ही थाने में बताया I जयदीप के कहे अनुसार उस लड़के को लाया गया है लखनऊ हॉस्पिटल में I बीमार लड़का कोई और नहीं वह है आशीष I
हॉस्पिटल पहुंचते ही राजेंद्र की तरफ एक आदमी आगे आया I राजेंद्र ने देखा कुछ ही दूर इंस्पेक्टर जयदीप सिंह व भोला हवलदार एक डॉक्टर के साथ कुछ बातें कर रहे हैं I राजेंद्र की तरफ आये आदमी ने उसके हाथ को पकड़ जोर से रोने लगा और बोला - " सॉरी भाई आई एम वेरी वेरी सॉरी I "
राजेंद्र ने इस पर कोई उत्तर नहीं दिया केवल लड़खड़ाती आवाज में बोला - " श्याम जब तुम्हारे भाई ने खुद को बचा लिया तो वह शायद मेरे बहन को भी बचा सकता था I "
बात को समाप्त कर वह आगे बढ़ा गया जयदीप की तरफ , ,कुछ ही दूर उसकी नजर गई एक महिला की तरह जो बेंच पर बैठी हुई है वह भी रो रही है पर राजेंद्र उस महिला कोपहचान नहीं सका I
राजेंद्र बोला - " आशीष कहां है ? मैं उसके साथ बात करना चाहता हूं I "
जयदीप बोले - " नहीं , यह तो अभी एलाउ नहीं है इसके अलावा "
" क्या सर ? "
जयदीप कुछ देर सोचकर बोले - " लड़के को बहुत ही चोट लगी है, देखकर लग रहा है किसी भयंकर ट्रामा में है I रह-रहकर कांपने लगता है I अभी तो वह ठीक है लेकिन डॉक्टर ने सावधानी से बातचीत करने को कहा है I "
राजेंद्र जब जयदीप के साथ आशीष के वार्ड में जाकर पहुंचे तब दरवाजे के बाहर से ही देखा कि आशीष अंदर बेड पर बैठा हुआ है I पूरा शरीर लकड़ी की तरह सूख गया है दोनों आंख अंदर की तरफ धंस गए हैं पूरे शरीर में बहुत सारी चोटों के चिन्ह और किसी - किसी जगह चमड़े मांस के साथ फट गए हैं मानो किसी ने चाबुक से बहुत मारा हो I राजेंद्र का मन और भी डर गया उन्होंने सोचा मानसी को भी शायद किसी ने इसी तरह हमारा होगा, बहुत अत्याचार किया होगा लेकिन आशीष ने अपने आप को बचाने के लिए मानसी को छोड़ भाग आया I
जयदीप बोले - " देखने से लग रहा है कि किसी ने चाबुक से मारा है मुझे भी पहले ऐसा ही लगा था लेकिन डॉक्टर कह रहे हैं यह चाबुक के चोट नहीं हैं I यह बात कुछ अविश्वसनीय है लेकिन उन चोट की जगहों से किसी ने खून चूसा है I "
राजेंद्र आश्चर्य होकर बोला - " खून चूसा है , डॉक्टर क्या मजाक कर रहे हैं I "
जयदीप बोले - " अविश्वसनीय है पर सच यही है मैंने ब्लड रिपोर्ट देखा है उसके शरीर में ब्लड बहुत ही कम है I अगर बहुत बड़ा कटने की चोट लगे तो इतना ब्लड गिर सकता है पर ऐसा कोई बड़ा कटने के चिन्ह नहीं है I
जो भी हो हमारे पास यही कोई आधे घंटे का समय है तब तक चलो आशीष से कुछ पूछ लेते हैं I "
जयदीप, राजेंद्र और श्याम अंदर गए आशीष के वार्ड में , आशीष बिना शर्ट पहने बैठा हुआ है Iपूरा शरीर अस्वभाविक तरीके से पतला हो गया है, बीच-बीच में कांप भी रहा है वह I
राजेंद्र को देखते ही आशीष जोर से कांप उठा और रोते हुए बोला बोला - " बचा नहीं पाया, मानसी को बचा नहीं पाया I "
जयदीप ने एक गिलास पानी देकर आशीष को शांत कराने लगे I
राजेंद्र को उसे देखकर लगा कि आशीष सच में बहुत डरा हुआ है I पूरे 10 मिनट लगे तब आशीष थोड़ा शांत हुआ I
जयदीप, आशीष के सामने कुर्सी पर बैठ कर बोले -
" अच्छा आशीष अब मुझे बताओ तो उस बैरिया जंगल में क्या हुआ था? "
जंगल नाम सुनते ही उसके दोनों आँख डर से फैल गए , डर के कारण व मानो कांपने लगा I
जयदीप उसे संभालते हुए बोले - " डरो मत आशीष तुम यहां पर सुरक्षित हो लेकिन उस जंगल में क्या हुआ था यह हमें जानना जरूरी है I "
राजेंद्र और श्याम दोनों ही आशीष को देख रहे हैं ,
आशीष खुद को थोड़ा संभाला और फिर बोलना शुरू किया, - " मैं, मानसी, राहुल और विवेक हम चारों ही विभिन्न रहस्यमय जगहों पर घूमना पसंद करते थे I
बहुत सारे किताबों को पढ़कर उन जगहों के बारे में जानता और वहां घूमने जाते I उन सब जगहों से बहुत सारे तथ्यों की हम लोग खोज करते थे I ज्यादातर भूतिया जगहों पर ही हम जाते थे I
कुछ दिन पहले विवेक ने पता लगाया कि बलरामपुर से कुछ 2 घंटे की दूरी पर बैरिया के जंगलों में एक भूतिया जगह है वहां के आसपास नरक का द्वार मृत लेजंड प्रसिद्ध है I
हम लोग जानते थे कि बलरामपुर में विवेक के चाचा का घर है इसीलिए हमने तय किया कि तीन-चार दिन के लिए वहां जाएंगे और यह डरावनी माइथोलॉजी क्या है उसे जानकर आएंगे I
उसके चाचा व चाची को हम लोगों ने सब कुछ बता दिया लेकिन बैरिया के जंगल में जाएंगे यह नहीं बताया I".
.......
।। क्रमशः।।
@rahul